Trinetra Ganesh Ji Mandir Ranthambore Fort, Rajasthan - Places to Visit in Ranthambore

हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से  पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है. प्रथम पूज्य गणेश के लिए लोगों की आस्था का एक केंद्र रणथंभौर में है.

देश में चार गणेश मंदिर हैं जो स्वयं से प्रकट हुए हैं जिनमें रणथम्भौर के त्रिनेत्र गणेशजी सिद्धपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्धपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में है। लेकिन यह ऐसा पहला मंदिर है जिसमे गणेश जी के तीन नेत्र हैं। इसके आलावा तीन नेत्रों वाले गणेश जी का मंदिर अभी तक कहीं प्रकाश में नही आया है।  कहा जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेशजी के दर्शन हेतु नियमित आते थे।
Trinetra Ganesh Ji Mandir Ranthambore
Trinetra Ganesh Ji Mandir

इस राजा ने बनवाया था मंदिर :

कुछ विद्वान का कहना हे की इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था।ताया जाता है कि राजा को किले में खुदाई के दौरान मूर्ति के आकार का पत्थर का टुकड़ा मिला था जिसका स्वरूप गणेश जी की तरह था। इस मूर्ति में गणेश जी की तीन आंखें थी। उसी समय महाराजा हम्मीरदेव चौहान पर विपक्षी राजाओं पर आक्रमण कर दिया राजा के सपने में गणेश जी आए और उन्हें युद्ध में जीतने का आशीर्वाद दिया।  जिसके बाद राजा युद्ध में विजयी हुए। महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने विजय प्राप्ति के बाद अपने किले में ही गणेश जी मंदिर का निर्माण कराया और उसमे जमीन से स्वतः निकली इस मूर्ती की स्थापना करवाई ।

डाक से भगवान को भेजी जाती हैं चिट्ठियां:

यह देश उन मंदिरों में से है जहां भगवान के नाम डाक आती है. देश के कई लोग अपने घर में होने वाले हर मंगल कार्य का पहला कार्ड यहां भगवान गणेश जी के नाम भेजते हैं. कार्ड पर पता लिखा जाता है- 'श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधौपुर (राजस्थान)'. डाकिया भी इन चिट्ठियों को पूरी श्रद्धा और सम्मान से मंदिर में पहुंचा देता है

Temple OF Ganesh Ji With Three Eyes Ranthambore :

When we say “Pratham Ganesha” in Hindu religion, it is believed to be the Trinetra Ganesha of Ranthambhore. Located in Ranthambore fort of Rajasthan state of India,
The Trinetra Ganesha Temple is the famous and oldest temple of Lord Ganesha in Rajasthan that comprises of his whole family all together at one place. The temple is about 12 kms from Sawai Madhopur Railway Station and is well established in Ranthambhore fort.

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