Ajmer Khwaja Garib Nawaz Dargah Tour in Rajasthan

ख्वाजा गरीब नवाज़ दरगाह अजमेर

अजमेर शरीफ दरगाह दरगाह शरीफ, ख्वाजा गरीबनवाज़ दर्गाह अजमेर, अजमेर दरगाह, अजमेर शरीफ के नामों से भी जानी जाती है।
यह राजस्थान का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मुस्लिम तीर्थ स्थल है। हर समुदायों के लोग यहां दर्शन करने आते हैं और अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह में अपनी श्रद्धा अर्पण करते हैं।
Ajmer Khwaja Garib Nawaz Dargah Tour in  Rajasthan

अजमेर दरगाह स्मारक

अजमेर शरीफ दरगाह के दर्शन करते समय आपको विभिन्न स्मारकों और भव्य इमारते दिखेंगी। इन सभी इमारतों को भारत के कई शासकों द्वारा बनाया गया था।

इसे काफी समय पहले से पवित्र माना जाता है। निजाम नामक दरवाजे से दरगाह में प्रवेश लिया जाता है जिसे बाद में शाहजहानी गेट कहा जाने लगा |इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने किया था। इसके बाद बुलंद दरवाजा है जिसे महमूद खिलजी द्वारा बनाया गया था।

ख्वाजा गरीब नवाज़ यहा पर आती है भक्तों की भीड़

खिदमत: यह रिवाज़ मजार की सफाई की जाती है और फूल चढ़ाये जाते है। ख़िदमत दिन में दो बार किया जाता है।
एक सुबह 4:00 बजे अजान के समय और दूसरा शाम 3:00 बजे। सुबह की खिदमत फ़जर की प्रार्थना से आधे घंटे पहले की जाती है

शाम की खिदमत केवल पुरुषों द्वारा ही की जाती है। महिलाओ को खिदमत की अनुमति नहीं है। फूलों और चंदन का चढ़ावा खादीम के फतेहा पढ़ने के साथ होता है।

प्रकाश (रोस): खादिम ड्रम बजाते हुए मोमबत्ती लेकर दरगाह के अंदर प्रवेश करते है और पवित्र शब्दों के पाठ के साथ चार कोनों में उन्हें जलाते हैं।

ख्वाजा गरीब नवाज़ में उर्स का मेला

भारत में मुस्लिम का सबसे बड़ा मेला, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वार्षिक उर्स त्यौहार राजस्थान के अजमेर में संत की दरगाह में आयोजित किया जाता है।

उर्स उत्सव छह दिन तक मनाया जाता है, जो चिश्ती के सज़ादान (उत्तराधिकारी) के आदेश द्वारा कब्र पर सफेद झन्डा फहराने के साथ शुरू होता है। इन दिनों में, कब्र को धार्मिक परम्परा द्वारा गुलाब और चंदन के पेस्ट से अभिषेक किया जाता है
कव्वालिया गई जाती हैं और इश्वर की प्रशंसा में कवितायेँ बोली जाती हैं, प्रार्थनायें की जाती है कव्वालिया और कई अन्य कार्यक्रम आपस में भाईचारा बढ़ाते है|

भक्त अपना नजराना या भव्य प्रसाद पेश करते हैं। दरगाह के बाहर, दो बड़ी कढ़ाई है, जिसमे मीठे चावल बनाये जाते है और उसे मेवो से सजाया जाता है| और एक मसालों द्वारा बनी ‘टारूरुख’ या पवित्र भोजन बनाया जाता है। वार्षिक त्यौहार उर्स बुलंद दरवाजा पर ध्वज फहराने से शुरू होता है।

रजब के महीने में चाँद के दिखने पर उर्स उत्सव की शुरुआत होती है। उर्स त्यौहार के प्रारंभ होने पर, दरगाह के दैनिक कार्यक्रमों में परिवर्तन आ जाता है। दरगाह का प्रवेश द्वार जी अक्सर रात में बंद किया जाता था वह इस समय 2 या 3 घंटे को छोड़कर सभी दिन और रात दरवाजों को खोला जाता है।

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